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बसना: अमरीन इल्लू होंगी बसना नगर पंचायत अध्यक्ष की स्वतंत्र प्रत्याशी,जाने उनके राजनीतिक सफर

देशराज दास बसना: नगरीय निकाय चुनाव को लेकर सरगर्मियां तेज हो गई हैं। आरक्षण की घोषणा के बाद बसना नगर पंचायत अध्यक्ष का पद सामान्य महिला के लिए आरक्षित कर दिया गया है। इस बार स्वतंत्र प्रत्याशी से अमरीन इल्लू अध्यक्ष पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करेंगी।

अमरिन इल्लू का राजनीतिक सफर
वैसे तो अमरिन इल्लू का इनका मायका उडिसा है। इनका विवाह बसना इल्लू गीगानी के साथ 2005 में हुआ। इरफान इल्लू गीगानी का राजनीति सफर 1994 में पहली बार पंच चुनाव जीतकर राजनीतीक का पहला सिडी पार किए तथा बसना ग्राम पंचायत में सक्रियता से काम किया तथा बसना पंचायत में सरपंच बनने का लालसा रहा सन 1999 में ग्राम पंचायत आरक्षण सूचि निकली जीसमें महिला आरक्षित हो गया जीसमे इरकान गिगानी इल्लू ने अपनी मां फरीदा बाई- इल्लू ने चुनाव में प्रचण्ड मतों से विजय प्राप्त किया।

ज्ञात रहे उस वक्त तीन पदो पर लड़े तथा तीनो पदो पर सफलता प्राप्त किए फरीदा बाई चुनाव साथ साथ पंच चुनाव भी जीती। तथा इरकान गीगानी इल्लू पंच चुनाव भी साथ साथ जीते – फरिदा बाई को सरपंच बनने के कारण अपना पंच पद से इस्तीफा देना पडा जीसके कारण उस वार्ड का उपचुनाव करवाना पड़ा इरफान गीगानी इल्लू ने अपनी भाभी सबनम गिगानी को चुनाव लड़ाकर विजय हासिल करवाया इस तरह बसना ग्राम पचायत में पांच साल तक रहे।

उस समय इरफान इल्लू काग्रेस से जुड़े थे उसके बाद 2003 को नगर पंचायत का दर्जा मिला तथा फरीदा बाई प्रथम नगर पंचागत अध्यक्ष बसना बनी। इसी दौरान इरफान गीगानी इल्लू बसना नगर पंचायत अध्यक्ष की तैयारी में जुट गये तथा तात्कालीक अजीत जोगी सरकार ने पालिका चुनाव पार्टी चिन्ह करवाने की घोषणा कर दी। 2004 में इरफान इल्लू को कांग्रेस का टीकट नही मिली। जीसके चलते इरफान इल्लू बगावत कर निर्दलीय चुनाव लडे कांग्रेस का लहर चलते इरफान इल्लू को हार का सामना करना पड़ा। उसके बावजूत भी राजनीती में रहकर जनता के साथ खडे रहे।

अमरिन इल्लू गीगानी ने बताया की 2009 के चुनाव में पुन: आरक्षण महिला हुआ और इरफान इल्लू ने पुनः अपनी माता के लिये कांग्रेस का टिकट मांग किया लेकिन राजनीती गुटबाजी चलते टीकट नहीं मिला पुनः अपनी माता फरिदाबाई को अध्यक्ष का चुनाव लड़वाया घडी छाप पर जिसमे भाजपा प्रत्याशी परमजीत कौर वीजयी हुई जीसमें कांग्रेस को शर्मनाक स्थिति का सामना करना पड़ा और कांग्रेस फरिदाबाई से भी बहुत कम वोट पाकर तीसरे स्थान पर आ गई इसी चुनाव से अमरीन गिगानी इल्लू पहली बार पार्षद चुनाव लडी और भारी मतो से विजयी हुई।

अमरीन इल्लू पार्षद बनकर पांच साल तक नगर पंचायत बसना में अपने वार्ड तथा सभी वार्डो मे सक्रीय रही। 2014 में अध्यक्ष चुनाव मे इरफान गीगानी इल्लू कांग्रेस से टिकट पाने में सफल रहे और अध्यक्ष चुनाव लडे। लेकिन वर्तमान विधायक सम्प्त अग्रवाल जो भाजपा प्रत्याशी थे उनसे हार गए औरअमरीन इल्लू पार्षद में 2 वोट से हार गई। लेकिन अपनी उम्मीद नहीं छोडी 2019 मे अमरीन गिगानी इल्लू तात्कालीक, सांसद चुन्नीलाल साहू एवम जिला भाजपा अध्यक्ष वर्तमान सांसद रूपकुमरी चौधरी के सामने भाजपा प्रवेश कर लिया और इरकान इल्लू और अमरीन इल्लू दोनों को पार्षद कि टिकट दी गई।

जिसमे अमरीन इल्लू भारी मतो से पार्षद का चुनाव जीत गये। लेकिन इरफान इल्लू को हार का सामना करना पडा। 2019 में अमरीन गीगानी इल्लू पाच साल तक पुरे बसना में सक्रीय रही और बसना की राजनीती में अलग पहचान बना ली। नगर पंचायत बसना के समस्याओ को परिषद में उठाया अपने वार्ड में ऐतिहासीक कार्य करने के कारण पुरे बसना में चर्चित रही। एक मात्र महिला पार्षद है जो नगर पंचायत के हर बैठक में उपस्तिथ रही। स्वयं खडे होकर नाली सफाई और खम्बो से लाइट तथा और अन्य काम करवाने के कारण बसना में चर्चित रही।

अब वर्तमान में बसना नगर पंचायत में अध्यक्ष पद महिला के लिये आरक्षित होने के कारण अमरीन इल्लू को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। सभवत: उनके स्वतंत्र चुनाव लड़ने की सम्भावना है जिसकी नगर के चौक चौराहे मे जमकर चर्चा और लोगो द्वारा उन्हें सबसे मजबूत पत्याशी माना जा रहा है। छत्तीसगढ़ भूमि न्यूज़ संपादक देशराज दास द्वारा सम्पर्क करने पर उन्होने स्वीकार किया के वो निर्दलीय प्रत्याशी होंगी.

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