सीएम विष्णुदेव साय के गृह क्षेत्र का होगा कायाकल्प, 32 करोड़ की लागत से बनेगा नया अस्पताल
रायपुर. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पहल पर कुनकुरी में प्रस्तावित 220 बिस्तर वाले अत्याधुनिक अस्पताल के भवन निर्माण के लिए राज्य सरकार ने निविदा जारी कर दी है. इस परियोजना के लिए 32 करोड़ 9 लाख रुपये की राशि स्वीकृत की गई है.
मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित करने की योजना
राज्य सरकार ने अपने बजट में कुनकुरी में 220 बिस्तर की क्षमता वाले अत्याधुनिक अस्पताल के निर्माण की घोषणा की थी, और अब इसके निर्माण की प्रक्रिया को गति दी जा रही है. आदिवासी बाहुल्य जशपुर जिले के लिए यह अस्पताल एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. भविष्य में इसे मेडिकल कॉलेज के रूप में विकसित करने की योजना भी है.
स्वास्थ्य सेवाओं के सुधार के लिए मुख्यमंत्री की पहल
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने दिसंबर में पद संभालने के बाद जशपुर और प्रदेश के अन्य हिस्सों में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार और सुधार के लिए लगातार प्रयास किए हैं. उन्होंने एंबुलेंस सेवा में सुधार के लिए सख्त निर्देश जारी किए थे, जिसमें आपातकालीन कॉल के आधे घंटे के भीतर मरीज को एंबुलेंस उपलब्ध कराने की बात कही गई थी.
सस्ती दवाओं की उपलब्धता और अन्य स्वास्थ्य सुधार
मुख्यमंत्री की पहली कैबिनेट बैठक में प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में सस्ती जनरिक दवाओं को अनिवार्य रूप से उपलब्ध कराने का निर्देश भी दिया गया था. पिछले 8 महीनों में जशपुर जिले में स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं.
नई सुविधाओं का विस्तार
कुनकुरी में 220 बिस्तर के अस्पताल के साथ ही मरीजों की सुविधा के लिए 25 अतिरिक्त एंबुलेंस और 1 शव वाहन की व्यवस्था की गई है. 7 उप स्वास्थ्य केंद्रों को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का दर्जा दिया गया है और आवश्यक मानव संसाधन की स्वीकृति प्रदान की गई है.
चिकित्सकों की नियुक्ति और उपकरणों की खरीद
जशपुर जिले में 19 एमबीबीएस चिकित्सक और 7 विशेषज्ञ चिकित्सकों की पदस्थापना की गई है. इसके अलावा, अस्पतालों में मशीनों की कमी को दूर करने के लिए 2 करोड़ 32 लाख रुपये की स्वीकृति दी गई है. इस राशि से कुनकुरी में डायलिसिस केंद्र स्थापित किया जाएगा और जशपुर, मनोरा, लोदाम, बगीचा के अस्पतालों में आवश्यक उपकरणों की खरीद की जाएगी. मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की मंशा जशपुर जिले को स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है, ताकि मरीज और उनके परिजनों को भटकना न पड़े.