महासमुंद/पिथौरा: दो वर्षों में लगातार 500 से भी अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके संजय,पढ़े पूरी खबर
परमीत सिंह माटा पिथौरा: नगर के वार्ड 10 के निवासी संजय डोंगरे सर्प के मित्र के रूप में अपनी पहचान बन चुके हैं दो वर्षों में लगातार सांपों का रेस्क्यू कर उन्हें उनके सुरक्षित स्थान में छोड़ रहे हैं, पिथौरा क्षेत्र के आसपास किसी भी मकान में सांप निकलता है तो लोग सर्पमित्र संजय को रेस्क्यू करने बुलाते हैं संजय बताते है कि बीते दो वर्षों में 500 से भी अधिक सांपों का रेस्क्यू कर चुके हैं और इस शौक ने संजय को क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान दिलाई है।
बचपन से ही सांपों से लगाव था और अधिक उनके बारे में जानने की उत्सुकता के चलते वे सांप के बारे में पढ़ना शुरू किया सोशल मीडिया से सांपों के बारे में जानकारी जुटा कर वीडियो के माध्यम से ट्रेनिंग लेकर संजय अब सांप के संरक्षण में सर्प मित्र की भूमिका निभाते है,सांपों का रेस्क्यू कर उन्हें उनके वातावरण में सुरक्षित छोड़ने से सुखद अनुभूति प्राप्त होती है इस कार्य से सम्मान और प्रसिद्धि मिलने लगी.
संजय ने बताया सांप पकड़ने के लिए लोहे की 6 फीट संसी का इस्तेमाल करते हैं रेस्क्यू के दौरान लोग सांप पकड़ने पर सुरक्षा से जो कुछ देते हैं उसे ही रख लेते हैं अपनी ओर से कोई मोल नहीं करते संजय बताते हैं लोग पहले से अधिक जागरूक है आप लोग सांप को नहीं मारते बल्कि उन्हें बुलाते हैं संजय ने बताया सांप पकड़ने के लिए वह विभाग के अलावा पुलिस विभाग में तैनात 112 वहां के कर्मचारी भी अब उन्हें फोन करके सांपों का रेस्क्यू करने बुलाते हैं। संजय ने बताया की उनकी टीम में 4 अन्य सहयोगी होते है नजदीकी काल आने पर परमेश्वर सेंदरिया, पवन दीप, रवि निर्मलकर, लीलेश मानिकपुरी के साथ जाकर रेस्क्यू करते है इनके इस कार्य से सोशल मीडिया में यू ट्यूब चैनल में करीब 1400 सब्सक्राइबर भी है।
संजय ने बताया उनके अध्ययन के मुताबिक भारत में सांप की करीब 275 प्रजाति पाई जाती है । जिसमे 5 प्रजाति ही अत्यधिक विषैले होते है जैसे की अहिराज, बैंडेड करैत , रसल वाइपर, बैंबू पीट वाइपर, इंडियन करैत, पीट वाइपर इसके अनुपात बाकी अन्य प्रजाति काम विषैले या विषहीन होते है।
सांपों का प्रकृति से संतुलन के अहम भूमिका
दुनिया में प्राकृतिक संतुलन कायम रखने के लिए हर एक जीव का होना जरूरी है. ऐसे में सांप इस प्राकृतिक संतुलन का एक अभिन्ना हिस्सा हैं. ये रेंगने वाला जीव वैसे तो जंगलों में रहता है लेकिन कई बार यह आबादी वाले इलाकों में भी आ जाता है और इंसानों को डंस लेता है. कई बार देखा जाता है की इनके डंसने से घबराहट होती है, लेकिन उससे भी पहले यह जानना जरूरी होता है की किस सर्प ने उन्हें डसा है वह विषैला है की नही ।
एहतियात बरतने की जरूरत
बीएमओ बीबी कोसरिया ने बताया कि पॉइजन दो प्रकार के होते हैं न्यूरोटॉक्सिक और हेमेटोटॉक्सिक फन वाले सांपों में न्यूरोटॉक्सिक पाइजन पाया जाता है बगैर फन वाले सांपों में हेमेटोटॉक्सिक पाया जाता है जैसे कि करैत न्यूरोटॉक्सिक होता है जिसके काटने से विष शरीर में प्रवेश करते ही नसों में सप्लाई होने वाले नर्व को प्रभावित करती है नर्वस डिसऑर्डर होते है कार्डियो अरेस्ट से मानव की मृत्यु हो जाती है वही हेमेटोटॉक्सिक में ब्लड सेल्स फटने लगते है और ब्लड की क्लोटिंग होने लगती है हार्ट में ब्लड जमने से मृत्यु होती है।
न्यूरोटॉक्सिक में समय कब मिलता है होम्योपैथी में 6 घंटे तक समय मिल सकता है सर्व ढंग से मरीज को तत्काल ही नजदीकी शासकीय अस्पताल में पहुंचना चाहिए जिससे एंटी वेनम इंजेक्ट कर मरीज की जान बचाई जा सकती है। बीएमओ बीवी को सरिया ने बताया कि एहतियात के तौर पर जहरीला सर्पगंज के काटने वाले स्थान के दो इंच ऊपर में रस्सी बांधना है जिससे जहर जल्दी फैलने से रोक सके एवं तत्काल ही नजदीकी शासकीय अस्पताल में पहुंचकर उपचार करवाना है
सांप काटे तो झाड़ फूंक नहीं इलाज करवाएं
बीबी कोसरिया ने कहा सांप डसने के बाद कई लोग अंधविश्वास के कारण झाड़ फ़ूंक करवाने लगते हैं. वो ओझा गुनिया के चक्कर में पड़ जाते हैं और अपनी जान भी गंवा बैठते हैं. जबकि झाड़फूंक नही करवाकर सरकारी अस्पताल में ही जाएं ताकि समय पर सही इलाज मिल सके और आपकी जान बच सके. सर्पमित्र संजय का नंबर 7999016373