महासमुंद

कांग्रेस की संविधान यात्रा जनता के साथ मात्र छलावा: सांसद रुपकुमारी चौधरी

कांग्रेस की “संविधान यात्रा” के खिलाफ कड़ा विरोध जताते हुए, सांसद रुपकुमारी चौधरी ने कहा कि यह यात्रा एक राजनीतिक हथकंडे के सिवाय और कुछ नहीं है। कांग्रेस, जो खुद अपने इतिहास में कई मौकों पर संविधान के मूल्यों और सिद्धांतों को कमजोर करने के लिए कुख्यात रही है, अब उन्हीं मूल्यों की रक्षा के नाम पर यात्रा आयोजित कर रही है। यह यात्रा न केवल एक छलावा है, बल्कि यह कांग्रेस की दोहरी नीति और उनके वास्तविक इरादों को भी उजागर करती है।

कांग्रेस का इतिहास संविधान के साथ खिलवाड़ करने और देश के लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर करने का रहा है,कांग्रेस याद करें 25 जून 1975 की वो काली रात जब देश में “ आपातकाल ” का काला अध्याय लिखा गया था, जिसमें कांग्रेस ने संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया था, भारतीय लोकतंत्र पर एक बड़ा धब्बा लगाया था। उस समय, मीडिया की स्वतंत्रता को कुचल दिया गया, न्यायपालिका पर दबाव डाला गया, और आम नागरिकों की स्वतंत्रता को छीन लिया गया। यह वही कांग्रेस है, जिसने संविधान की आड़ में अपनी सत्ता को बनाए रखने के लिए देश की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का हनन किया था।

आज जब पूरा देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है तब कांग्रेस “संविधान यात्रा” के नाम पर संविधान की रक्षा की बात कर रही है, तो यह उनके पाखंड का जीता जागता उदाहरण है। कांग्रेस ने अपने शासनकाल में बार-बार संविधान का दुरुपयोग किया, और अब वही पार्टी संविधान के रखवाले के रूप में खुद को प्रस्तुत करने की कोशिश कर रही है। यह जनता को गुमराह करने और अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ाने का प्रयास है, जिसमें वे खुद को लोकतंत्र और संविधान के रक्षक के रूप में पेश करना चाहते हैं, जबकि उनका इतिहास इस दावे के ठीक विपरीत है।

कांग्रेस का यह कदम यह दर्शाता है कि उनके पास वास्तविक मुद्दों पर बात करने के लिए कोई ठोस आधार नहीं है, इसलिए वे संविधान की रक्षा के नाम पर एक और दिखावटी कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। जनता को यह समझना होगा कि कांग्रेस का उद्देश्य संविधान की रक्षा करना नहीं है, बल्कि यह एक राजनीतिक प्रचार है, जिसका मकसद उनके खुद के राजनीतिक हितों को साधना है।

यह भी महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस की इस यात्रा का समय और उद्देश्य संदेहास्पद है। वे 14 अगस्त, जो भारत की स्वतंत्रता की पूर्व संध्या है, को चुनकर अपने आपको संवैधानिक मूल्यों के संरक्षक के रूप में पेश करने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि कांग्रेस ने अपने लंबे राजनीतिक इतिहास में कई बार संविधान और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने का काम किया है।

इस तरह की यात्राएं सिर्फ एक राजनीतिक नाटक हैं, जिनका उद्देश्य संविधान के प्रति जनता की भावनाओं का शोषण करना है। अगर कांग्रेस वास्तव में संविधान की रक्षा के प्रति प्रतिबद्ध होती, तो वे अपने इतिहास के काले अध्यायों का सामना करते और उन गलतियों के लिए माफी मांगते, जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र और संविधान को कमजोर किया।

अतः कांग्रेस की इस “संविधान यात्रा” की कड़ी निंदा की जानी चाहिए। यह यात्रा उनके वास्तविक इरादों से कहीं अधिक उनकी राजनीतिक हताशा और भ्रम फैलाने की कोशिश को दर्शाती है। भारतीय जनता को इस तरह की धोखेबाज राजनीति से सावधान रहना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संविधान और लोकतंत्र की वास्तविक रक्षा उन लोगों के हाथ में हो, जिन्होंने हमेशा इसके प्रति सच्ची प्रतिबद्धता दिखाई है, न कि उन लोगों के, जिन्होंने इसे बार-बार अपने राजनीतिक स्वार्थों के लिए इस्तेमाल किया है।

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