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रेडियोलॉजिस्ट से ही करानी चाहिए सोनोग्राफी,प्रेगनेंसी के दौरान कब करानी चाहिए सोनोग्राफी,जानिए न्यू भारती हॉस्पिटल सरायपाली के विशेषज्ञ रेडियोलॉजिस्ट डॉ. कुलदीप वशिष्ट से

प्रेगनेंसी में सोनोग्राफी कराना एक सामान्य व आवश्यक प्रक्रिया है. सोनोग्राफी से भ्रूण के विकास का सही पता लगाया जा सकता है. जिससे बच्चे के विकास का सही तरीके से हो पाए.

विश्व में 100 में से 10 शिशु जन्मजात विकृतियों के साथ पैदा होते हैं, सोनोग्राफी की मदद से किसी विकृति को समय पर पकड़ा जा सकता है. ऐसे भ्रूण को गर्भ में ही गिराया जा सकता है ताकि कोई विकलांग शिशु पैदा ना हो.

शिशु का आंकलन करने के लिए डॉक्टर समय-समय पर सोनोग्राफी करवाने की सलाह देते हैं. सोनोग्राफी दुसरे सप्ताह से लेकर आखरी तिमाही में करवाया जाता है. डॉ. द्वारा 4 बार सोनोग्राफी करवाने की सलाह दी जाती है.

विभिन्न प्रकार के सोनोग्राफी हेतु सरायपाली बसना क्षेत्र में एक मात्र सीनियर रेडियोलॉजिस्ट डॉ. कुलदीप वशिष्ट भारती हॉस्पिटल सरायपाली में प्रतिदिन अपनी सेवाएं दे रहे हैं. यहाँ गर्भवती महिलाओं का एनॉमली स्कैन व पेट से संबंधित रोगों की जाँच जटिल सोनोग्राफी की सुविधा के साथ किया जाता है.

पहला स्कैन
भारती हॉस्पिटल सरायपाली के विशेषज्ञ बताते हैं कि पहला स्कैन यूपीटी पॉजिटिव आने के बाद 2 सप्ताह के बाद करवाया जाना चाहिए, ताकि यह पता लगाया जा सके कि भ्रूण गर्भाशय के अंदर है या बाहर, भ्रूण के धड़कन के बारे में जानकारी भी इसी स्कैन से मिलती है. इसे डेटिंग स्कैन बोला जाता है. ई.डी.डी. प्रसव की संभावित तिथि इसी स्कैन पर निर्भर करती है.

दूसरा स्कैन
यह स्कैन 11 से 14वें सप्ताह में करना चाहिए ताकि शिशु के हाथ, पैर, नाक और मस्तिष्क बनना प्रारंभ हुआ है कि नहीं यह पता लगाया जा सके. साथ ही कुछ जन्मजात विकृतियाँ भी इस स्कैन से पता लगाई जाती है.

तीसरा स्कैन
यह स्कैन 20 से 22 सप्ताह के दौरान करवाया जाना चाहिए, यह गर्भ के दौरान सबसे महत्वपूर्ण स्कैन है. इस स्कैन पर बच्चे के 80-90% अंग विकसित होने का पता लगाया जाता है. जन्मजात विकृतियां सबसे ज्यादा इसी समय पता चलता है.

चौथा स्कैन
यह आखिरी तिमाही में करवाना चाहिए, शिशु की गर्भ के दौरान गतिविधियां रक्त संचार की मात्रा देखने के लिए यह स्कैन काफी आवश्यक है. यह स्कैन डिलीवरी से पहले किया जाता है कि शिशु किस पॉजिशन में है. इमरजेंसी में सोनोग्राफी भी करवाई जा सकती है.

सोनोग्राफी किससे करवाना उचित
यह सबसे महत्वपूर्ण विषय है कि कौन गर्भावस्था के दौरान सोनोग्राफी कर रहा है? सोनोग्राफी एमडी, डीएमआरडी, डीएनबी, रेडियो डायग्नोसिस की डिग्री धारकों से ही करवाना चाहिए जिनको कम से कम 2 से 5 वर्षों का अनुभव होना चाहिए. कुछ स्थानों पर जहां रेडियोलॉजिस्ट नहीं है वहां गाइनकालजिस्ट और सोनोलॉजिस्ट करते हैं. परंतु उनका ज्ञान इस विषय में सीमित ही होता है अतः बेहतर जानकारी के लिए किसी रेडियोलॉजिस्ट से ही यह जाँच करवाना उचित है.

प्रेगनेंसी में अल्ट्रासाउंड कराना एक सामान्य प्रक्रिया है। अल्ट्रासाउंड से भ्रूण के विकास का सही पता लगाया जा सकता है। प्रेगनेंसी में बच्चे के विकास का सही आंकलन करने के लिए डॉक्टर समय-समय पर अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह देते हैं। अल्ट्रासाउंड पहली, दूसरी और तीसरी तिमाही में करवाया जा सकता है। ऐसे में जो महिला पहली बार गर्भवती हुई है, उनके मन में अकसर सवाल रहता है कि गर्भावस्था में पहली बार अल्ट्रासाउंड कब करवाना चाहिए?

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